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मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर

मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर या मीनाक्षी अम्मां मन्दिर या केवल मीनाक्षी मन्दिर

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मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर या मीनाक्षी अम्मां मन्दिर या केवल मीनाक्षी मन्दिर (तमिल: மீனாக்ஷி அம்மன் கோவில்) भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई नगर, में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर है। मदुरै, तमिलनाडु के हृदय में स्थित, मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर न केवल वास्तुकला की दृष्टि से अद्वितीय है, बल्कि यह धार्मिक आस्था का एक प्रमुख केंद्र भी है। इस मन्दिर को दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। यह मन्दिर देवी मीनाक्षी (माता पार्वती का अवतार) और भगवान सुन्दरेश्वर (भगवान शिव) को समर्पित है। इसके अद्वितीय वास्तुशिल्प, भव्य गोपुरम, और जटिल नक्काशी इसे एक अनमोल धरोहर बनाते हैं।

minakshi sundareshvara temple

मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर का इतिहास

पौराणिक कथा

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव ने सुंदरेश्वर के रूप में पृथ्वी पर आकर देवी पार्वती, जो मीनाक्षी के रूप में प्रकट हुई थीं, से विवाह करने के लिए अवतार लिया। देवी पार्वती ने पांड्य राजा मलयध्वज, मदुरई के राजा, की गहन तपस्या के फलस्वरूप उनके घर में एक पुत्री के रूप में अवतार लिया।

वयस्क होने पर उन्होंने नगर का शासन संभाला और जब भगवान शिव ने विवाह का प्रस्ताव रखा, तो उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया। इस विवाह को विश्व की सबसे बड़ी घटना माना गया, जिसमें पृथ्वी के अधिकांश लोग मदुरई में एकत्र हुए थे। भगवान विष्णु स्वयं इस विवाह की तैयारियों के लिए बैकुण्ठ से आए, लेकिन इन्द्र के कारण यात्रा में विलंब हो गया।

इस बीच, स्थानीय देवता कूडल अजहगर ने विवाह की व्यवस्था संभाली। बाद में भगवान विष्णु क्रोधित होकर मदुरई नगर में न आने की प्रतिज्ञा की और शहर की सीमा से लगे सुंदर पर्वत अलगार कोइल में निवास करने लगे। हालांकि, अन्य देवताओं की प्रार्थनाओं के बाद, उन्होंने मीनाक्षी-सुंदरेश्वर का विवाह संपन्न कराया।

इस दिव्य विवाह और भगवान विष्णु को शांत करने की घटना को मदुरई में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे चितिरई तिरुविझा या अझकर तिरुविझा, यानी सुंदरेश्वर का त्योहार कहा जाता है।

यह युगल लंबे समय तक नगर पर शासन करता रहा। उनके जाने के बाद उस स्थान की स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। ऐसा भी माना जाता है कि इन्द्र ने भगवान शिव की मूर्ति को शिवलिंग के रूप में प्राप्त किया और मूल मंदिर का निर्माण किया। यह परंपरा आज भी मंदिर में कायम है, और त्योहार की शोभायात्रा में इन्द्र के वाहन को भी सम्मानित किया जाता है।

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आधुनिक इतिहास

आधुनिक मंदिर संरचना का इतिहास पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन तमिल साहित्य के अनुसार, इसका निर्माण कुछ शताब्दियों पूर्व का माना जाता है। प्रसिद्ध हिंदू शैव संत तिरुज्ञानसंबंदर ने इसे शुरुआती सातवीं शताब्दी का बताया है और भगवान को आलवइ इरैवान के रूप में संबोधित किया है।

1310 में मुस्लिम शासक मलिक कफूर ने इस मंदिर में बड़ी लूटपाट की और इसके प्राचीन हिस्सों को नष्ट कर दिया। इसके पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी आर्यनाथ मुदलियार (1559-1600 ई.) ने निभाई, जो मदुरई के पहले नायक के प्रधानमंत्री थे और ‘पोलिगर प्रणाली’ के संस्थापक भी थे। इसके बाद, तिरुमलय नायक ने लगभग 1623 से 1659 के बीच मंदिर के वसंत मंडप के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इस कार्य में उल्लेखनीय उत्साह दिखाया।

मन्दिर की संरचना

Madurai city from a top of Meenakshi Amman temple
Image Credit: wikimedia

मीनाक्षी मन्दिर का परिसर लगभग 15 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। इसमें चार प्रमुख गोपुरम (प्रवेश द्वार) हैं, जो मन्दिर की भव्यता को दर्शाते हैं। ये गोपुरम 170 फीट तक ऊंचे हैं और इनमें भगवानों, देवी-देवताओं, और पौराणिक कथाओं से संबंधित हजारों मूर्तियां हैं। मन्दिर का मुख्य आकर्षण देवी मीनाक्षी और भगवान सुन्दरेश्वर के गर्भगृह हैं। इसके अलावा, यहां 33,000 से अधिक मूर्तियां हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं, ऋषियों और पौराणिक पात्रों का चित्रण करती हैं।

मन्दिर की विशिष्टताएं

यह शिव मंदिर समूह के मध्य में स्थित है, जो देवी के अनुष्ठानों की बढ़ती महत्वपूर्णता को दर्शाता है। इस मंदिर में शिव की नटराज मुद्रा भी स्थापित है। आमतौर पर नटराज मुद्रा में शिव का बायां पैर उठाया हुआ होता है, लेकिन यहाँ उनका दायां पैर उठा हुआ है। एक कथा के अनुसार, राजा राजशेखर पांड्य की प्रार्थना पर भगवान शिव ने अपनी मुद्रा बदल दी थी, ताकि एक ही पैर को लंबे समय तक उठाए रखने से अत्यधिक भार न पड़े। यह निवेदन उनके व्यक्तिगत नृत्य अनुभव पर आधारित था।

मंदिर में स्थापित नटराज की यह विशाल मूर्ति एक बड़ी चांदी की वेदी में रखी गई है, जिसे वेल्ली अम्बलम् (रजत आवासी) कहा जाता है। मंदिर के बाहर बड़े शिल्प आकृतियाँ हैं, जो एक ही पत्थर से बनी हैं। यहाँ एक बड़ा गणेश मंदिर भी है, जिसे मुकुरुनय विनायक के नाम से जाना जाता है। यह मूर्ति मंदिर के सरोवर की खुदाई के समय प्राप्त की गई थी।

मीनाक्षी देवी का गर्भगृह शिव के बाएं स्थित है, और इसका शिल्प स्तर शिव मंदिर की तुलना में कम है।

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पोत्रमारै सरोवर

पोत्रमरै कूलम, एक पवित्र सरोवर, 165 फीट लंबा और 120 फीट चौड़ा है। यह मंदिर के भीतर भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। भक्त मंदिर में प्रवेश करने से पहले इस सरोवर की परिक्रमा करते हैं। इसके शाब्दिक अर्थ “स्वर्ण कमल वाला सरोवर” है, और सरोवर में पाए जाने वाले कमल सचमुच सोने के रंग के होते हैं।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने एक सारस पक्षी को यह आशीर्वाद दिया था कि इस सरोवर में कभी भी कोई मछली या अन्य जलचर उत्पन्न नहीं होंगे, और ऐसा ही हुआ। तमिल मान्यता के अनुसार, यह नया साहित्य परखने के लिए एक उत्कृष्ट स्थल है। लेखक यहाँ अपने साहित्यिक कार्य रखते हैं, और निम्न गुणवत्ता के कार्य इसमें डूब जाते हैं, जबकि उच्च गुणवत्ता का साहित्य इसमें तैरता है और डूबता नहीं

सहस्र स्तंभ मण्डप

Thousand Pillar Hall, Meenakshi Temple

आयिराम काल मण्डप, जिसे सहस्र स्तंभ मण्डप या हज़ार खंभों वाला मण्डप भी कहा जाता है, शिल्प के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें 985 भव्य तराशे हुए स्तंभ हैं, जबकि 1000 स्तंभों की संख्या केवल मिथक है। यह मण्डप भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण आर्यनाथ मुदलियार ने कराया था, और उनकी अश्वारोही मूर्ति मण्डप की सीढ़ियों के बगल में स्थित है।

प्रत्येक स्तंभ पर द्रविड़ शिल्पकारी का बेहतरीन नमूना देखा जा सकता है। इस मण्डप में मंदिर का कला संग्रहालय भी है, जहां 1200 वर्षों का इतिहास मूर्तियों, चित्रों, छायाचित्रों और वित्रकारी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

मण्डप के बाहर पश्चिम दिशा में संगीतमय स्तंभ स्थित हैं, जिनमें से प्रत्येक स्तंभ पर थाप देने पर विभिन्न स्वर निकलते हैं। मण्डप के दक्षिण में स्थित कल्याण मण्डप में प्रतिवर्ष मध्य अप्रैल में चैत्र मास के दौरान चितिरई उत्सव मनाया जाता है, जिसमें शिव और पार्वती के विवाह का आयोजन होता है।

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उत्सव और त्योहार

इस मंदिर से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण उत्सव मीनाक्षी तिरुकल्याणम है, जो चैत्र मास (अप्रैल के मध्य) में मनाया जाता है। इस उत्सव के साथ तमिलनाडु के अधिकांश मंदिरों में वार्षिक उत्सवों का आयोजन भी होता है। मीनाक्षी तिरुकल्याणम में रथ-यात्रा (तेर तिरुविझा) और नौका उत्सव (तेप्पा तिरुविझा) जैसे प्रमुख आयोजन शामिल होते हैं।

इसके अलावा, नवरात्रि और शिवरात्रि जैसे अन्य हिंदू त्योहार भी यहाँ बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। तमिलनाडु के सभी शक्ति मंदिरों की तरह, तमिल माह के आदि (15 जुलाई – 17 अगस्त) और तै (15 जनवरी – 15 फरवरी) के दौरान आने वाले सभी शुक्रवार भी बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं, और इस समय मंदिरों में भारी भीड़ रहती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दक्षिण भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक है। मन्दिर की दीवारों और स्तम्भों पर की गई नक्काशी उस समय की कला और शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाती है। यह मन्दिर भारत के सांस्कृतिक धरोहर का एक अमूल्य हिस्सा है।

Minakshi Sundareshvera Hindu Temple - Madurai - India

यात्रा और दर्शन

मदुरै शहर अच्छी तरह से सड़कों, रेल और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक मीनाक्षी मन्दिर के दर्शन करने आते हैं। मन्दिर का समय सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक है, और यह पूरे वर्ष खुला रहता है। यहां आने वाले भक्त मन्दिर के सौंदर्य, शांति और दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं।

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मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर कैसे पहुंचें?

मीनाक्षी मन्दिर तक पहुंचने के लिए मदुरै एक प्रमुख स्थान है जो विभिन्न साधनों द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है:

  1. वायु मार्ग से:
    • मदुरै अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (Madurai International Airport):
      यह हवाई अड्डा मन्दिर से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से नियमित घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से आप टैक्सी या ऑटो रिक्शा लेकर आसानी से मन्दिर तक पहुंच सकते हैं। चेन्नई, बेंगलुरु, मुंबई, और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से मदुरै के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।
  2. रेल मार्ग से:
    • मदुरै जंक्शन (Madurai Junction):
      मदुरै जंक्शन दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है, जो देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है। चेन्नई, बेंगलुरु, तिरुवनंतपुरम, हैदराबाद, और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से मदुरै के लिए नियमित ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। रेलवे स्टेशन से मन्दिर की दूरी लगभग 1.5 किलोमीटर है, जिसे आप पैदल या ऑटो रिक्शा से आसानी से तय कर सकते हैं।
  3. सड़क मार्ग से:
    • बस सेवा:
      मदुरै तमिलनाडु के प्रमुख शहरों और पड़ोसी राज्यों से बस मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन की बसें और निजी वोल्वो बसें मदुरै के लिए नियमित रूप से चलती हैं।
    • टैक्सी और कार:
      मदुरै तक आप टैक्सी या निजी कार से भी पहुंच सकते हैं। चेन्नई से मदुरै की दूरी लगभग 460 किलोमीटर है और यह सड़क मार्ग से लगभग 8 घंटे का सफर है। बेंगलुरु से मदुरै की दूरी लगभग 435 किलोमीटर है और यह लगभग 7 घंटे का सफर है।
  4. स्थानीय परिवहन:
    • ऑटो रिक्शा और टैक्सी:
      मदुरै में ऑटो रिक्शा और टैक्सी की सुविधा आसानी से उपलब्ध है, जो आपको मन्दिर के निकट तक पहुंचा सकती हैं।
    • सिटी बस:
      मदुरै शहर के विभिन्न हिस्सों से मीनाक्षी मन्दिर तक पहुंचने के लिए सिटी बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।

Sri Minakshi Temple

निष्कर्ष

मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मन्दिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का जीवंत प्रमाण भी है। इसकी दिव्यता, वास्तुकला और आध्यात्मिकता हर व्यक्ति के दिल में एक गहरा प्रभाव छोड़ती है। अगर आप कभी मदुरै जाएं, तो इस मन्दिर के दर्शन अवश्य करें और इसके अद्वितीय अनुभव का हिस्सा बनें।

Devesh Chauhan

Hey there, I'm Devesh Kumar. Born in Uttar Pradesh and received my early education there. Later I completed my 10th and 12th grades in Gujarat and then graduated in Madhya Pradesh. In 2014, I graduated with a degree in Computer Science from Rajiv Gandhi Technical University. Currently, I am pursuing my job in Ahmedabad. When I am not busy with my IT profession, you will find me enjoying my hobbies. My hobbies include traveling, playing volleyball, and swimming. I have a strong affection for religious sites, spirituality, beaches, adventure, forests, and mountains. I also enjoy contributing to Wikipedia and Tripoto. Over the years, I have explored various states and Union Territories in India. I have been attracted by the diversity that our magnificent country has to offer, from the calm landscapes of Uttarakhand and Madhya Pradesh to the colorful cultures of Rajasthan and Gujarat, and from the coastal splendor of Goa to the gorgeous hills of Himachal Pradesh and Karnataka. Visit my website to learn more about my amazing trips. Here, I post my experiences and stories in both English and Hindi.

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