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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व, इतिहास व पौराणिक कथा

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर यह एक हिंदू तीर्थस्थल है, यह मंदिर भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य में द्वारका से 25 किमी दूरी पर स्थित है। द्वादश ज्योतिर्लिंग में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 10वें स्थान पर आता है। यहाँ पर भगवान् शिव को नागों के देवता के रूप में पूजा जाता है। यहाँ पर भगवान् शिव की ध्यान मुद्रा वाली एक विशाल मूर्ति बनाई गई है जो आप को 2 या 3 किमी पहले से ही दिखने लगती है।

रुद्रसंहिता में भगवान् शिव को दारूकावन नागेशं के रूप में बताया गया है, ऐसा मन जाता है कि यहाँ दरसन करने मात्र से सारे पापों का अंत हो जाता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं। आइये जानते हैं नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास एवं महत्वपूर्ण बातें।

Table of Contents

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा हिंदी में (Nageshwar Jyotirlinga Katha)

पौराणिक कथा में किए गए वर्णन के अनुसार दारुका नाम की एक राक्षस कन्या थी, जिसे दारुका वन में जाने की अनुमति नहीं थी। दारुका वन में कई प्रकार की दैवीय औषधियां थीं, इसी लिए दारुका ने माता पार्वती की कठिन तपस्या कर के उन्हें प्रसन्न कर लिया और वरदान के रूप में सद्कर्मों के लिए राक्षसों को दारुका वन में जाने का वरदान मांगा।

और अधिक पढ़ें: भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग के नाम, स्थान एवं खास बातें हिंदी में

जब राक्षसी दारुका ने शिव भक्त सुप्रिया को बनाया बंदी

माता पार्वती राक्षसी दारुका के सद्कर्मों के विचारों से प्रसन्न होकर उन्होंने उसे दारुका वन में जाने का वरदान दे दिया। लेकिन वरदान प्राप्त होते ही दारुका एवं अन्य राक्षसों ने वन को देवताओं से छीन लिया एवं वन में पूजा बंद करवा दी, इसी वन में एक सुप्रिया नाम की शिवभक्त थी जिसे दारुका ने बंदी बना लिया था। सुप्रिया ने भगवान् शिव की शिव की तपस्या की और उनसे राक्षसों के नाश का वरदान मांगा.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना

सुप्रिया ने भगवान् शिव की कठोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न करके राक्षसों से खुद का बचाव एवं वन को बचने तथा राक्षसों के नाश के लिए प्रार्थना की। अपनी परम भक्त सुप्रिया की रक्षा के लिए भगवान शिव दिव्य ज्योति के रूप में एक बिल से प्रकट हुए. महादेव ने राक्षसों से विनाश कर दिया. सुप्रिया ने उस ज्योतिर्लिंग का विधिवत पूजन किया और शिवजी से इसी स्थान पर स्थित होने का आग्रह किया। भगवान शिव अपने भक्त का आग्रह मान कर वहीं स्थित हो गे. इस प्रकार ज्योतिर्लिंग स्वरूप भगवान शिव ‘नागेश्वर’ कहलाए.

बाबा नागेश्वर नाग दोष से मुक्ति दिलाते हैं

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका धाम से 17 किलोमीटर बाहरी क्षेत्र में स्थित है. नागेश्वर का अर्थ है नागों के देवता. जिन लोगों की कुंडली में सर्प दोष होता है उन्हें यहां धातुओं से बने नाग-नागिन अर्पित करना चाहिए, मान्यता है इससे नाग दोष से छुटकारा मिल जाता है.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुचें ?

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तक पहुँचने के कई तरीके हो सकते हैं। यहाँ कुछ सामान्य तरीके दिए गए हैं:

  1. हवाई मार्ग (By Air): नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तक पहुँचने का सबसे सरल तरीका हवाई मार्ग हो सकता है। नागेश्वर के पास स्थित जामनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हो सकता है, जिससे आप आ सकते हैं। इसके बाद, आप टैक्सी या बस का सहारा ले सकते हैं।
  2. रेल मार्ग (By Train): नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तक रेल मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है। नागेश्वर के पास स्थित द्वारका रेलवे स्टेशन निकटतम हो सकता है, जिससे आप आ सकते हैं। इसके बाद, आप टैक्सी, ऑटोरिक्शा, या बस का सहारा ले सकते हैं।
  3. सड़क मार्ग (By Road): नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को सड़क मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है। अपने गाड़ी के साथ, आप द्वारका से टैक्सी, बस, या खुद की गाड़ी का इस्तेमाल करके जा सकते हैं।
  4. यात्रा के बाद: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तक पहुँचने के बाद, आप मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। ध्यान दें कि आपको आधिकारिक प्रवेश के लिए मंदिर के नियमों और विधियों का पालन करना होगा।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भारतीय सनातन धर्म में महत्वपूर्ण एक पवित्र स्थल है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह द्वारका, गुजरात राज्य में स्थित है और वहाँ के शिवभक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को भारतीय मिथकों और पौराणिक कथाओं में भगवान शिव की द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान कहाँ पर है?

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। यह स्थान द्वारका नगर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान समुद्र के किनारे पर है, और इसके पास एक प्रसिद्ध मंदिर है जो शिवभक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। यह स्थान धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और शिवभक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के आस-पास क्या-क्या दर्शनीय स्थल हैं?

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के आस-पास कई दर्शनीय स्थल हैं जो यात्रियों को आकर्षित करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सूची है:
द्वारका धाम: द्वारका नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के आस-पास स्थित है, जो भगवान कृष्ण की अवतार स्थली के रूप में प्रसिद्ध है। द्वारका मंदिर, नीलांबिका मंदिर, रुक्मिणी मंदिर, और द्वारकाधीश मंदिर इस शहर के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
गोमती घाट: गोमती घाट द्वारका के नगर में स्थित है और यहाँ गोमती नदी के किनारे पर श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में स्नान करते हैं।
गोपी तालाव: गोपी तालाव एक प्राकृतिक झील है जो द्वारका के पास स्थित है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जहाँ आप शांति और सुकून का आनंद ले सकते हैं।
बेट द्वारका: बेट द्वारका भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के आस-पास स्थित है और यहाँ पर प्राचीन मंदिर और साहित्यिक स्थल हैं।
रुपेन काका मार्ग: यह प्राकृतिक स्थल द्वारका के पास स्थित है और यहाँ पर आप प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं, साथ ही यहाँ से सुनसेट दृश्य भी शानदार होते हैं।
शंकराचार्य का गुफा: यह गुफा नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास है और यहाँ शंकराचार्य ने ध्यान किया था। यह भी एक आध्यात्मिक स्थल है जो यात्रियों को आकर्षित करता है।
वेटद्वारका: वेटद्वारका द्वारका के पास स्थित है और यहाँ पर एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान कृष्ण के बालक रूप का देवालय है। यहाँ पर द्वारकाधीश मंदिर के समीप गुमणाम बांध के किनारे पर एक पवित्र कुंज है, जहाँ कृष्ण भगवान के बालक रूप के खेल का स्थल है।
शिवराजपुर बीच: शिवराजपुर बीच भी द्वारका के पास स्थित है और यहाँ पर एक शांतिपूर्ण समुद्र तट है। यहाँ की सुंदरता, चिराग़ स्थल, और समुद्री जीवन को देखने के लिए लोग आते हैं।


द्वारका से नागेश्वर मंदिर कितनी दूरी पर है?

 नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के बाहरी क्षेत्र में द्वारिकापुरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

ट्रेन से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के सबसे पास द्वारका रेलवे स्टेशन है, जो देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है। आप ट्रेन से यहां आसानी से आ सकते हैं। ट्रेन से उतरने के बाद अब आप आसानी से ऑटो या कैब लेकर मंदिर जा सकते हैं।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग सोमनाथ से कितनी दूर है?

सोमनाथ मंदिर और नागेश्वर मंदिर के बीच की दूरी 252.6 किमी है। सोमनाथ मंदिर और नागेश्वर मंदिर के बीच की दूरी।

क्या हम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को छू सकते हैं?

मंदिर पूरे दिन सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। पुरुष और महिला दोनों को ही शिवलिंग को छूने की अनुमति है । पुरुषों को पूजा करने के लिए धोती पहननी पड़ती है।

गुजरात में कितने ज्योतिर्लिंग हैं?

गुजरात में दो ज्योतिर्लिंग विद्यमान हैं। ये हैं सोमनाथ और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग सोमनाथ में स्थित है। नागेश्वर दारुकावनम में स्थित है।

बैंगलोर से द्वारका और सोमनाथ कैसे जाएं?

बेंगलुरु से सोमनाथ तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको अहमदाबाद पहुंचना पड़ेगा। बेंगलुरु से अहमदाबाद आप बस, रेल या हवाईजहाज किसी भी तरह आ सकते हैं। अहमदाबाद से सोमनाथ के लिए आप बस, कैब या रेल द्वारा सोमनाथ तक जा सकते हैं।

डिस्क्लेमर : यहां दी गई जानकारी सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि mainawara.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

Devesh

Hey there, I'm Devesh Kumar. Born in Uttar Pradesh and received my early education there. Later I completed my 10th and 12th grades in Gujarat and then graduated in Madhya Pradesh. In 2014, I graduated with a degree in Computer Science from Rajiv Gandhi Technical University. Currently, I am pursuing my job in Ahmedabad. When I am not busy with my IT profession, you will find me enjoying my hobbies. My hobbies include traveling, playing volleyball, and swimming. I have a strong affection for religious sites, spirituality, beaches, adventure, forests, and mountains. I also enjoy contributing to Wikipedia and Tripoto. Over the years, I have explored various states and Union Territories in India. I have been attracted by the diversity that our magnificent country has to offer, from the calm landscapes of Uttarakhand and Madhya Pradesh to the colorful cultures of Rajasthan and Gujarat, and from the coastal splendor of Goa to the gorgeous hills of Himachal Pradesh and Karnataka. Visit my website to learn more about my amazing trips. Here, I post my experiences and stories in both English and Hindi.

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