त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – जहाँ होते हैं एक साथ ब्रह्मा, विष्णु, महेश के दर्शन (Trimbakeshwar Jyotirlinga In Hindi)
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श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – भगवान शिव का यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में त्र्यंबक नामक गांव में स्थित है।
यह मंदिर भारत में स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। जहाँ भक्त प्रभु देवों के देव महादेव की ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए पहुँचते रहते हैं।
इस ज्योतिर्लिंग के सम्बन्ध में यह मान्यता है, कि मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग स्वयं प्रकट (स्वयंभू) हुआ था अथार्थ इसे किसी के द्वारा स्थापित नहीं किया गया था।
मंदिर के अंदर एक छोटे से गङ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव देवों का प्रतीक माना जाता हैं. त्र्यंबकेश्वर की सबसे बड़ी यही विशेषता है कि यहाँ ज्योतिर्लिंग में त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णु एवं महेश तीनों के दर्शन प्राप्त होते हैं।
अगर आप भी भगवान शिव के अनेक शिव भक्तों में से एक हैं और आप महाराष्ट्र में स्थित त्र्यम्ब्केश्वर मंदिर के दर्शन हेतु जाना चाहते हैं, या त्र्यम्ब्केश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास या कुछ और रोचक तथ्य जानना चाहते हैं तो फिर यह लेख आप के लिए ही है, इसे आप को जरूर पढ़ना चाहिए।
क्योंकि इसमें हम आपको त्र्यम्ब्केश्वर से जुडी कुछ रोचक बातें बताने हैं।
आइये जानते हैं।
त्र्यम्ब्केश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (History of trimbakeshwar jyotirlinga temple in hindi)
भगवान शिव का यह मंदिर महाराष्ट्र में नासिक से 28 किमी की दूरी पर स्थित है।
इस मंदिर का निर्माण (जीर्णोद्धार) एक पुराने मंदिर के स्थान पर तीसरे बालाजी बाजीराव अथार्त नाना साहब पेशवा ने 1755 में करवाया था। इस मंदिर का कार्य कई वर्ष लगभग 31 वर्षों में पूर्ण हुआ था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1786 में जाकर पूर्ण हुआ था। कहा जाता है कि उस समय इस मंदिर के निर्माण कार्य में करीब 16 लाख रुपये खर्च हुए थे जो उस समय काफी बड़ी रकम मानी जाती थी।
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त्र्यम्ब्केश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Trimbakeshwar jyotirlinga ki kahani hindi main)
प्राचीन काल में ब्रम्हगिरी नामक पर्वत पर देवी अहिल्या अपने पति ऋषि गौतम के साथ रहते थे। ब्रम्हगिरी एक तपोभूमि होने के कारण कई अन्य ऋषि भी तपस्या के लिए रहते थे। लेकिन इनमे से कई ऋषि गौतम से ईर्ष्या करते थे।
एक बार सभी ऋषियों ने मिलकर गौतम ऋषि पर गौ हत्या का आरोप लगा दिया एवं प्रायश्चित के रूप में गंगा को लाने के लिए कहा। इसके बाद ऋषि गौतम ने वह शिवलिंग स्थापित कर के शिवजी की कठोर तपस्या की, तपस्या से प्रसन्न होकर भगवन शिव प्रकट हुए।वरदान में गौतम ऋषि ने गंगा को भेजने को कहा लेकिन देवी गंगा ने कहा कि यदि शिवजी भी इस स्थान पर रहेंगे, तभी वह भी यहां रहेगी।
गंगा के ऐसा कहने पर शिवजी वहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप वास करने को तैयार हो गए और गंगा नदी गौतमी के रूप में वहां बहने लगी। गौतमी नदी को ही गोदावरी नाम से जाना जाता है।
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के आसपास घूमने की जगहें (Places to visit near Trimbakeshwar jyotirlinga in hindi)
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के पश्चात आप यहाँ कई बेहतरीन, जगहों पर घूमने जा सकते है। वैसे भी त्र्यंबक प्रकृति की गोद में बसा हुआ गाँव है तो आप को आसपास अंजनेरी हिल्स, पांडव लेनी गुफाएं, मुक्तिधाम मंदिर, पंचवटी, सप्तश्रृंगी, सोमेश्वर महादेव, सोमेश्वर वाटरफॉल (झरना), नवश्या गणपति जैसी बेहतरीन जगहों पर भी घूमने के लिए जा सकते हैं।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुँचे ? (How to reach Trimbakeshwar?)
त्र्यंबक गाँव नासिक से काफी नजदीक है। आपको पहले नासिक पहुंचना होगा, नासिक पूरे देश से रेल, सड़क और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप नासिक पहुँचकर वहाँ से त्र्यंबक के लिए बस, ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं।
टैक्सी या ऑटो लेते समय मोल-भाव का ध्यान रखें। एवं पूरे नाशिक घूमने के लिए टैक्सी के सिर्फ 2500 से ज्यादा ना दें, ऑटो से आप अधिक से अधिक 1500 रुपये में पूरा नाशिक घूम सकते हैं।
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