मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जहाँ पुत्र कार्तिकेय के वियोग में भगवान शिव ने धारण किया था ज्योति रूप
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हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व माना गया है। हर एक ज्योतिर्लिंग की पीछे पौराणिक कथाएं हैं। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर पवित्र शैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह भगवान शिव के प्रतिष्ठित स्थलों में से एक हैं। यह ज्योतिर्लिंग करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र है। यहां भगवान शिव और माता पार्वती दोनों ही संयुक्त रूप से ज्योति के रूप में विराजमान हैं। यह ज्योतिर्लिंग के साथ साथ एक शक्तिपीठ भी है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।
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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी (Mallikarjun jyotirlinga ki kahani)
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शिवपुराण में वर्णित, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास उस पौराणिक हिंदू कथा से जुड़ा है, जिसमें भगवान शिव के दोनों पुत्र, कार्तिकेय और गणेश, के बीच एक प्रतियोगिता हुई थी। इस प्रतियोगिता में उन्होंने यह सिद्ध करने की कोशिश की कि कौन बड़ा है। भगवान कार्तिकेय ने यह माना कि वे भगवान गणेश से अधिक बड़े हैं, जबकि गणेश जी कहते थे कि वे कार्तिकेय से अधिक बड़े हैं।
इस मतभेद के परिणामस्वरूप, माता पार्वती और भगवान शिव ने एक न्याय प्रतियोगिता आयोजित की, जिसमें पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला जीतने का अधिकार प्राप्त करेगा। इस प्रतियोगिता में कार्तिकेय अपनी सवारी पर मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकले, जबकि भगवान गणेश ने एक चूहे पर सवारी करके अपनी बुद्धि का प्रदर्शन किया।
इस चूहे की सवारी के द्वारा, भगवान गणेश ने अपनी विवेकपूर्ण बुद्धि का प्रदर्शन किया और सात बार माता पार्वती और पिता भगवान शिव की परिक्रमा की। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें पृथ्वी की परिक्रमा से प्राप्त होने वाले फल के अधिकारी घोषित किया गया।
जब महाबली शिवपुत्र कुमार कार्तिकेय सारी पृथ्वी की परिक्रमा करके फिर कैलाश पर्वत पर आये तब यह सब देखकर चौंक गए। गुस्से में वे वहाँ से क्रौंच पर्वत पर चले गये, माता पार्वती एवं शिवजी के वहाँ जाकर अनुरोध करनेपर भी नहीं लौटे तथा वहाँ से भी बारह कोस दूर चले गये, तब भगवान् शिव एवं माता पार्वती ज्योतिर्मय स्वरुप धारण करके वहाँ प्रतिष्ठित हो गये।
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भगवान शिव एवं माता पार्वती दोनों पुत्रस्नेह से आतुर हो पर्व के दिन अपने पुत्र कुमार कार्तिकेय को देखने के लिये उनके पास जाया करते हैं। अमावस्या के दिन भगवान् शंकर स्वयं वहाँ जाते हैं और पौर्णमासी के दिन माता पार्वती वहाँ निश्चय ही पदार्पण करती हैं। उसी दिन से भगवान् शिव का मल्लिकार्जुन नमक एक लिंग तीनों लोकों में प्रसिद्ध हुआ। जिसमें माता पार्वती एवं भगवान् शिव दोनों की ज्योतियाँ प्रतिष्ठित हैं। ‘ मल्लिका ‘ का अर्थ पार्वती है और ‘ अर्जुन ‘ शब्द शिव का वाचक है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (mallikarjuna jyotirlinga)का जो भी मनुष्य दर्शन करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है और सम्पूर्ण अभीष्ट को प्राप्त कर लेता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुचें ? (how to reach mallikarjuna jyotirlinga?)
how to reach mallikarjuna jyotirlinga from Hyderabad
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग हवाईजहाज से – हैदराबाद (Mallikarjun jyotirlinga flight se)
निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद में राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो श्रीशैलम से लगभग 220 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से, आप श्रीशैलम तक पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या परिवहन के अन्य साधनों का उपयोग कर सकते हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ट्रेन से (Mallikarjun jyotirlinga train se)
निकटतम रेलवे स्टेशन मार्कपुर रोड रेलवे स्टेशन है, जो श्रीशैलम से लगभग 91 किलोमीटर दूर है। आप इस स्टेशन तक ट्रेन ले सकते हैं और फिर सड़क मार्ग से श्रीशैलम जा सकते हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग सड़क द्वारा (Mallikarjun jyotirlinga bus, car se)
श्रीशैलम आंध्र प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के विभिन्न शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। श्रीशैलम पहुंचने के लिए आप बस, टैक्सी या निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं। श्रीशैलम की ओर जाने वाली सड़कें सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती हैं, जिससे यात्रा आनंददायक हो जाती है।