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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन और यात्रा की जानकरी – कैसे पहुंचे, कहाँ ठहरें, और क्या खाएं

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के महाराष्ट्र राज्य में छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) के पास दौलताबाद से 11 किलोमीटर दूर एलोरा गुफाओं के पास वेरुल नामक गाँव में स्थित है। यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से आखिरी ज्योतिर्लिंग है। जिसे हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और शक्तिशाली धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है एवं यह स्थान यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।

यह स्थान भगवान महादेव की आलौकिक कथा के साथ जुड़ा हुआ तीर्थ स्थल हैं। अगर आप भी भगवान शिव के अलौकिक घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर और इसके आस पास के प्रमुख पर्यटन स्थल की यात्रा करना चाहते हैं, तो आप को हमारे इस लेख को अवस्य पढ़ना चाहिए। तो आइये जानते हैं मंदिर निर्माण एवं मंदिर के इतिहास के विषय में।

और अधिक पढ़ें: भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग के नाम, स्थान एवं खास बातें हिंदी में

Table of Contents

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में दर्शन का समय:

    • मंदिर सुबह 5:30 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है।
    • सोमवार और महाशिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर भीड़ अधिक होती है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में विशेष आरती:

    • सुबह और शाम को मंदिर में विशेष आरती होती है, जो भक्तों के लिए बहुत शुभ मानी जाती है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में ड्रेस कोड:

    • पुरुषों को धोती या पंचा पहनना चाहिए। शर्ट या बनियान पहने हुए पुरुषों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है।

फोटोग्राफी और मोबाइल फोन:

    • मंदिर परिसर में फोटोग्राफी और मोबाइल फोन ले जाना प्रतिबंधित है।

मंदिर का महत्व और इतिहास

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का उल्लेख पुराणों में मिलता है। यह मंदिर घृष्णा देवी और उनके पति सुदर्शन की कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि घृष्णा देवी भगवान शिव की अनन्य भक्त थीं। उन्होंने अपने भक्ति और तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया। तभी से इस स्थल को घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है।

मंदिर की वास्तुकला:

  • मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है।
  • मंदिर का शिखर 5-स्तरीय है और इसमें जटिल नक्काशी की गई है।
  • यहाँ के गर्भगृह में भगवान शिव का स्वयंभू शिवलिंग प्रतिष्ठित है।
  • गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर हिन्दू पौराणिक कथाओं के देवी-देवताओं की मूर्तियां खुदी हुई हैं।

इतिहास:

घृष्णेश्वर मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ और इसे मराठा साम्राज्य की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने पुनः बनवाया। उनके द्वारा ही कई ज्योतिर्लिंगों के पुनर्निर्माण का कार्य हुआ था।

 

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की पौराणिक कथा 

पुराणों में इसकी कथा इस प्रकार है – दक्षिण प्रदेश में देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ निवास करता था। वह भगवान शिव के विशेष भक्त थे और प्रतिदिन शिव भगवान की पूजा-अर्चना करते थे। दोनों पति-पत्नी खुशियों से अपने जीवन का आनंदित निकासा कर रहे थे, लेकिन एक दुखद बात थी कि उनके यहां कोई संतान नहीं थी।

दोनों ने संतान प्राप्ति के लिये कई जतन किए , मगर सब व्यर्थ रहे। अंत में ज्योतिष गणना से ब्राह्मण ने जाना कि उनकी पत्नी के गर्भ से संतान उत्पति नहीं हो सकती। जब यह बात उसकी पत्नी सुदेहा को पता चली, तो उसने ब्राम्हण को विवश करके उसकी दूसरी शादी अपनी छोटी बहन से करवा दी। उसका नाम घुष्मा था और वह भी बड़ी सदाचरणी थी।

घुष्मा प्रतिदिन 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करतीं और उन्हें विधिपूर्वक एक कुंड में विसर्जित कर देतीं। शिव भक्ति के फलस्वरूप घुष्मा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई।

लेकिन यह देखकर सुदेहा को अपनी बहन से ईर्ष्या होने लगी। ईर्ष्या के वशीभूत होकर उसने घुष्मा के पुत्र की हत्या कर दी और शव को उसी कुंड में फेंक दिया।

शिव कृपा से पुनर्जीवित हुआ पुत्र

जब घुष्मा को इस घटना का पता चला, तो उन्होंने दुखी होने के बजाय भगवान शिव की पूजा जारी रखी। उनकी अटूट भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उनके पुत्र को पुनर्जीवित कर दिया।

घुष्मा की श्रद्धा और भक्ति से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उसी स्थान पर स्थायी रूप से निवास करने का वरदान दिया। उन्होंने कहा, “मैं यहां तुम्हारे नाम से घृष्णेश्वर कहलाऊंगा और सदैव भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करूंगा।”

घुष्मा द्वारा की गई 101 पार्थिव शिवलिंग पूजा के स्मरण में, इस ज्योतिर्लिंग की परिक्रमा 108 बार नहीं, बल्कि 101 बार की जाती है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग आज भी भक्तों के लिए आस्था और चमत्कार का केंद्र है।

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग तक पहुँचने के लिए आपको कई परिवहन विकल्प मिलते हैं।

1. हवाई मार्ग:

निकटतम हवाई अड्डा छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) है, जो मंदिर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है।

  • छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) हवाई अड्डा, मुंबई, पुणे और दिल्ली जैसे बड़े शहरों से जुड़ा है।
  • हवाई अड्डे से मंदिर तक टैक्सी या कैब द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।

2. रेल मार्ग:

  • छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से 30 किमी दूर है।
  • पुणे, मुंबई और नागपुर जैसे बड़े शहरों से छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) के लिए नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं।
  • रेलवे स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी या बस द्वारा पहुंच सकते हैं।

3. सड़क मार्ग:

घृष्णेश्वर मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

  • मुंबई से दूरी: 330 किमी (राष्ट्रीय राजमार्ग 160 से)।
  • पुणे से दूरी: 230 किमी।
  • छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) से दूरी: 30 किमी।
    छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) से आपको स्थानीय बस या टैक्सी मिल जाएगी।

कहाँ ठहरें?

घृष्णेश्वर मंदिर के आसपास ठहरने के कई विकल्प हैं। आपकी सुविधा और बजट के अनुसार आप होटल, धर्मशाला, या रिसॉर्ट्स में ठहर सकते हैं।

बजट विकल्प:

यदि आप कम बजट में ठहरना चाहते हैं, तो ये होटल उपयुक्त रहेंगे:

  • Hotel Siddharth Inn: मंदिर से 2 किमी दूर, साफ-सुथरा और सस्ता।
  • Shivam Residency: मूलभूत सुविधाओं के साथ एक किफायती होटल।

लग्जरी विकल्प:

  • Vivanta Aurangabad: यहाँ आप शानदार आतिथ्य का आनंद ले सकते हैं।
  • Welcomhotel Rama International: आधुनिक सुविधाओं और शाही वातावरण के साथ औरंगाबाद में स्थित।

मंदिर ट्रस्ट धर्मशाला:

मंदिर के पास धर्मशाला भी उपलब्ध है, जो सस्ते और सुरक्षित विकल्पों में से एक है। यहां शुद्ध शाकाहारी भोजन और साधारण कमरे उपलब्ध हैं।

क्या खाएं?

महाराष्ट्र अपने पारंपरिक भोजन के लिए प्रसिद्ध है, और घृष्णेश्वर मंदिर के आसपास आपको कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन मिलेंगे।

स्थानीय व्यंजन:

  • पूरन पोली: यह एक मीठा व्यंजन है, जो गुड़ और चने की दाल से बनाया जाता है।
  • झुनका भाकर: महाराष्ट्र का पारंपरिक ग्रामीण व्यंजन।
  • वड़ापाव: हल्के खाने के लिए यह सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है।
  • उक्कडीचे मोदक: भगवान गणेश को अर्पित किया जाने वाला यह व्यंजन बेहद लोकप्रिय है।

खाने के स्थान:

  • Hotel Kailash: शुद्ध शाकाहारी भोजन के लिए प्रसिद्ध।
  • Tandoor Restaurant: भारतीय और अंतरराष्ट्रीय व्यंजनों का आनंद।
  • Green Leaf Restaurant: परिवार के साथ भोजन करने के लिए एक बेहतरीन स्थान।

आसपास के आकर्षण

घृष्णेश्वर मंदिर के आसपास कई प्रमुख पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें आप अपनी यात्रा के दौरान देख सकते हैं।

एलोरा गुफाएं:

मंदिर से सिर्फ 1 किमी दूर, यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यहाँ 34 गुफाएं हैं, जो हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म से संबंधित हैं।

बीबी का मकबरा:

ताजमहल की प्रतिकृति के रूप में प्रसिद्ध यह मकबरा औरंगजेब की पत्नी दिलरस बानो बेगम की स्मृति में बनाया गया था। यह मंदिर से 35 किमी दूर है।

दौलताबाद किला:

मध्यकालीन भारत का यह किला घृष्णेश्वर मंदिर से 20 किमी दूर है। इसका ऐतिहासिक महत्व और वास्तुशिल्पीय भव्यता इसे दर्शनीय बनाती है।

यात्रा के सुझाव और सावधानियां

  1. सही समय पर यात्रा करें:

    • अक्टूबर से मार्च का समय यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त है।
    • इस समय मौसम सुहावना रहता है।
  2. अपना समय पहले से प्रबंधित करें:

    • यदि आप एलोरा गुफाएं या बीबी का मकबरा भी देखना चाहते हैं, तो पूरा दिन निर्धारित करें।
  3. जल और स्नैक्स साथ रखें:

    • मंदिर और गुफाओं के आसपास ज्यादा विकल्प न होने पर यह सहायक रहेगा।

निष्कर्ष

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा आपके जीवन में आध्यात्मिक अनुभव लेकर आती है। भगवान शिव की इस पवित्र धरा पर आकर आप शांति और भक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
इस यात्रा के दौरान, न केवल आप भगवान शिव की पूजा करेंगे, बल्कि महाराष्ट्र की समृद्ध संस्कृति और इतिहास से भी परिचित होंगे।
अगर आपने पहले इस स्थान की यात्रा की है, तो अपने अनुभव जरूर साझा करें।

 

Devesh Chauhan

Hey there, I'm Devesh Kumar. Born in Uttar Pradesh and received my early education there. Later I completed my 10th and 12th grades in Gujarat and then graduated in Madhya Pradesh. In 2014, I graduated with a degree in Computer Science from Rajiv Gandhi Technical University. Currently, I am pursuing my job in Ahmedabad. When I am not busy with my IT profession, you will find me enjoying my hobbies. My hobbies include traveling, playing volleyball, and swimming. I have a strong affection for religious sites, spirituality, beaches, adventure, forests, and mountains. I also enjoy contributing to Wikipedia and Tripoto. Over the years, I have explored various states and Union Territories in India. I have been attracted by the diversity that our magnificent country has to offer, from the calm landscapes of Uttarakhand and Madhya Pradesh to the colorful cultures of Rajasthan and Gujarat, and from the coastal splendor of Goa to the gorgeous hills of Himachal Pradesh and Karnataka. Visit my website to learn more about my amazing trips. Here, I post my experiences and stories in both English and Hindi.

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