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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास एवं कहानी

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गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र (पुराना काठियावाड़ राज्य) में जूनागढ़ के निकट वेरावल के समुद्र तट पर एक विशाल एवं भव्य मंदिर में श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है। यह क्षेत्र “प्रभास तीर्थ” के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ भगवान् शिव ने चन्द्रमा को प्रजापति दक्ष के शाप से मुक्ति दी थी। यहीं यदुवंशियों ने परस्पर लड़कर जानें गवाँई थीं एवं यहीं भगवान् श्रीकृष्ण ने एक शिकारी के तीर से अपने तलवे को बिंधवाकर अपनी सांसारिक लीला समाप्त की थी। प्रभास या प्रभास पाटन कहलाने वाला यह क्षेत्र सनातन धर्म को मानने वालों एवं शिव भक्तों के लिए महातीर्थ माना जाता है। सनातन हिन्दू धर्मग्रंथों – पुराणों , रामायण , महाभारत, आदि में इसकी महिमा कही गई है। भगवान् भोलेशंकर के बारह ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ का पहला स्थान है।

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Somnath Jyotirlinga

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा (What is the story behind Somnath Jyotirlinga in Hindi?)

Somnath Mandir Ki Kahani Hindi Main

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की शिव पुराण में दी गई कथा संक्षेप में इस प्रकार है – ब्रम्हा के पुत्र प्रजापति दक्ष ने अपनी 27 नक्षत्र कन्याओं का विवाह एक साथ चंद्रमा (चंद्र देव ) के साथ किया था, परन्तु चंद्र देव की विशेष पसंद रोहिणी थीं वो रोहिणी को अधिक प्रेम करते थे। अन्य दक्ष कन्याएँ चंद्रदेव की तरफ से अनदेखी किये जाने की वजह से दुःखी रहती थीं। जब यह बात प्रजापति दक्ष के पास पहुंची तो उन्होंने चंद्रदेव को सभी से सामान व्यवहार करने के लिए समझाया। परन्तु चंद्रदेव पर इसका कोई असर नहीं पड़ा तो दुःखी पिता प्रजापति दक्ष ने चन्द्रमा को क्षय रोग ग्रस्त हो जाने ( शरीर के निरंतर क्षीण होकर नष्ट हो जाने ) का शाप दे दिया।

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

शाप की वजह से चंद्रमा का शरीर निरंतर घटने लगा। उनका संसार में मधुर चाँदनी फैलाने का काम भी रुक गया। सभी जीव कष्ट पाने लगे एवं चंद्रदेव से दया की पुकार करने लगे। चंद्रदेव ने सभी देवताओं, महर्षियों, वशिष्ठ आदि को अपनी मदत के लिए पुकारा, लेकिन कोई उपाय नहीं मिला। असहाय देवता चंद्रमा को लेकर ब्रम्हदेव के पास पहुँचे। ब्रम्हदेव ने चंद्रदेव को अन्य देवताओं के साथ प्रभास क्षेत्र में सरस्वती के समुद्र से मिलान स्थल पर जा कर भगवान् शिव की आराधना एवं मृंत्युजय मंत्र का जाप करने का आदेश दिया। चंद्रमा में प्रभास क्षेत्र में जाकर 6 महीने तक 10 करोड़ ‘महामृत्युंजय’ मन्त्र जाप किया।

भगवान् शिव ने वहाँ प्रकट होकर चंद्रमा को अमरता का वरदान दे दिया। प्रजापति दक्ष के शाप का असर उन्होंने वरदान देकर काम कर दिया कि महीने की 15 तिथियों (दिनों) में तुम्हारे शरीर का थोड़ा – थोड़ा क्षय होगा ( घटेगा ) . यह 15 दिन कृष्ण पक्ष कहलायेगा। बाद की 15 तिथियों में रोज तुम्हारा शरीर थोड़ा – थोड़ा बढ़ते हुए 15 वें दिन पूर्ण हो जाया करेगा। यह पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष के रूप में जाने जायेंगे।
चंद्र एवं अन्य देवताओं ने भगवान् शिव से माँ भवानी के साथ वहीँ वास करने की प्रार्थना की, जिसे स्वीकार करके महादेव वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए स्थापित हो गए।

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सोमनाथ मंदिर का इतिहास (History of Somnath Jyotirlinga in Hindi)

इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर की भव्यता को देखकर आक्रांता मोहम्मद गजनी के मन में लालसा आ गई थी और उसने सन 1025 में मंदिर पर हमला किया था। उसने मंदिर की सारी संपत्ति को लूट लिया और इस स्थान को लगभग नष्ट कर दिया था। इस मंदिर के रक्षा करते हुए कई लोगों ने अपनी जान गवाई थी। रक्षा के लिए सामने आए वह लोग इसी क्षेत्र के निवासी थे। इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने करवाया था।

सोमनाथ मंदिर 1869 की तस्वीर (Image Source : https://www.aajtak.in/)

जब गुजरात पर दिल्ली की सल्तनत का कब्जा हुआ तब एक बार फिर 1297 इस मंदिर पर अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने हमला किया था और यहां की अमूल्य संपत्ति को लूटकर ले गया था। मंदिर को 1395 और 1412 में भी तोड़ा गया था। लेकिन जीर्णोद्धार का सिलसिला चलता रहा और श्रद्धालुओं में इस मंदिर के प्रति भक्तिभाव में कभी कमी नहीं आई। औरंगजेब के समय में भी दो बार सोमनाथ मंदिर पर हमला हुआ था और इसे लगभग नष्ट कर दिया था। लेकिन तब भी हिंदू इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते और भगवान सोमनाथ की आराधना करते थे। इस बात से नाराज होकर उसने यहां पर एक सैन्य टुकड़ी भेज कर कत्लेआम मचाया था।

वर्तमान काल में जो मंदिर हम आज देख रहे हैं वह भारत के पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1950 में बनवाया था। साथ पहली बार 1995 में भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र के शिवभक्तों को और जनता को सौंप दिया था। 6 बार आक्रमणों को सहने के बाद भी यह मंदिर आज भी अपने भव्यता और सुंदरता के लिए विश्व में प्रख्यात है।

सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचें? (How to reach Somnath Temple in Hindi?)

वायु मार्ग – सोमनाथ से 55 किलोमीटर दूर स्थित केशोड नामक स्थान से मुंबई के लिए सीधी वायुसेवा उपलब्ध है। केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी उपलब्ध है।

रेल मार्ग- सोमनाथ के सबसे समीप वेरावल रेलवे स्टेशन है, जो वहां से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहाँ से अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है।

सड़क परिवहन- सोमनाथ वेरावल से 7 किलोमीटर, मुंबई 889 किलोमीटर, अहमदाबाद 400 किलोमीटर, भावनगर 266 किलोमीटर, जूनागढ़ 85 और पोरबंदर से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है।

विश्रामशाला- इस स्थान पर तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस, विश्रामशाला व धर्मशाला की व्यवस्था है। साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं। वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

Devesh Chauhan

Hey there, I'm Devesh Kumar. Born in Uttar Pradesh and received my early education there. Later I completed my 10th and 12th grades in Gujarat and then graduated in Madhya Pradesh. In 2014, I graduated with a degree in Computer Science from Rajiv Gandhi Technical University. Currently, I am pursuing my job in Ahmedabad. When I am not busy with my IT profession, you will find me enjoying my hobbies. My hobbies include traveling, playing volleyball, and swimming. I have a strong affection for religious sites, spirituality, beaches, adventure, forests, and mountains. I also enjoy contributing to Wikipedia and Tripoto. Over the years, I have explored various states and Union Territories in India. I have been attracted by the diversity that our magnificent country has to offer, from the calm landscapes of Uttarakhand and Madhya Pradesh to the colorful cultures of Rajasthan and Gujarat, and from the coastal splendor of Goa to the gorgeous hills of Himachal Pradesh and Karnataka. Visit my website to learn more about my amazing trips. Here, I post my experiences and stories in both English and Hindi.

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